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रविवार, 22 अप्रैल 2012

आज जो कुछ कह गया.....

हर सू जो दिखाई देता है,वो कौन है 
इस बात पर मेरे भीतर भी मौन है !!

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कोई किसी को क्यूँ पसंद करता है
मैं ये नहीं जानता 
जिंदगी तूने मुझे पसंद किया तो....
मुझमें जरूर कोई बात रही होगी....!!!!

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मुझे पता है कि एक दिन 
तू मुझे अपनी सेज में लिटा कर 
अपनी बाँहों में भरकर प्यार करेगी 
बस इसी प्यार की खातिर 
यह इत्ती बड़ी जिंदगी जिए जा रहा हूँ 
अ मौत,तू थोड़े दिन और ठहर 
मैं थोड़े दिनों में ही आ रहा हूँ....!!!!

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उम्र की सलीब पर कुछ साँसे टंगी हुईं हैं...
वो अगर चुक जाएँ,तो चलूँ 
मौत अगर हाथ आ गयी 
दौलत हाथ लग जायेगी 
जिंदगी को पकडूं तो हाथ मलूँ

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एक और आदमी है मुझमें 
जो हरदम पगलाया हुआ है 
मैं आपको शांत लग सकता हूँ 
वो तावक्त बौराया हुआ है 
मैं उससे सच में मिलना नहीं चाहता 
मगर रहता है वो मुझमें ही कहीं 
मुझे बाहर निकलते वक्त...
मुझमें वापस घुसते वक्त 
पल-पल सामना होता है मेरे-उसका 
मैं क्या करूँ उस पागल का 
आप ही बताऊँ ना दोस्तों....
मैं क्या करूँ उस पागल का....!!

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रात भर खोजता रहता हूँ.....सुबह को....
रात भर मुझे नींद नहीं आती...
सुबह सोने से ठीक पहले 
कुछ खाब आते है रात के 
और मैं जान जाता हूँ...
कि रात भर खूब सोया था मैं 
खाब ना आये तो पता भी न चले 
कि कब रात गयी....
कब सुबह हुई....
ये ही कुछ खाब हैं 
जो मुझे जगाये हुए हैं....
जो मुझे जिलाए हुए हैं....!!!

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चाँद बनकर कुछ सोचा था मैंने....
चांदनी हिस्से में आ गयी....
इससे पहले कि उसे बाहों में भर लेता मैं....
रात मेरे आड़े आ गयी.....
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किसी को कोई बताए ना.......
इसी चाँद को चूमता रहा हूँ मैं सौ-सौ बार....
हज़ार-हज़ार बार.....
आज पता चला यह कि 
यह रौशनी किसी शाम की देह की चिंगारियां थी
....जभी मैं सोचूं.....
चाँद में ये भीगी-भीगी से तपिश सी कैसी है.....!!
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कल चली जाना 
आज भर ठहर जा ना....
जिंदगी 
मुझे पहले मौत को 
अपनी बाहों में भर कर 
चूम लेने दे 
पुरजोश प्यार कर लेने ना 
तू भी यह मंजर देख ले ना 
आज भर ठहर जाना 
जिंदगी 
तू कल चली जाना....!!

2 टिप्‍पणियां:

विभूति" ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

acche bhaav hain kavita ke....