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मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

बक गया हूँ जुनूं में क्या क्या !! [1]

भगवान को बहुत मानते हो ना ?
तो ऐसा कैसे कर सकते हो ? 
कि तुम्हारे बंधू भूखे मरें !
और तुम डकारें लो !!
भगवान से बहुत डरते हो ना 
तो लोगों को कैसे डराते फिरते हो ?
जबकि तुम्हीं कहते हो कि 
सबका फैसला ऊपर होगा !!
सबका मालिक  एक है 
यह भी तो तुम्हीं कहते हो ना 
तो खुद को मालिक क्यूँ कहलवाते हो ?
मैनें देखा है तुम्हें अक्सर 
बहुत से संतों की शरण में भी 
वहां तुम क्या करते हो 
जब कि तुम उनकी किसी 
बात पे अमल तक नहीं करते ?
ऐसी सब बातें तुम करते हो 
जिनपर तुम कायम ही नहीं रहते 
तो खुद को वही दिखाओ ना,जो तुम हो 
जो हो ही नहीं वो 
दिखने का दिखावा क्यूँ करते हो 
हमें पता है कि तुम राक्षस हो 
आदमी होने का दावा क्यूँ करते हो ??
[इस भाव को कोई अन्यथा ना लेवे ,
ये प्रश्न मेरे खुद से हैं !!]
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मान लो कि कोई आपकी वह तारीफ़ करता है 
जिसके हकदार सचमुच में आप नहीं हो 
तो फिर उसे ऐसा कहने से रोक लो ना....
सच बताऊँ ??
तब तुम सचमुच आदमी बन जाओगे !!
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कभी तो सुनाई भी नहीं देता 
इस तरह भीतर बस जाता है 
कभी इतना शोर करता है कि 
वो भीतर कहर बरपाता है 
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कितनी बेहयाई से ये सब कुछ करता है आदमी 
कहते हैं लोग कि खुदा से बहुत डरता है आदमी !
यह डर अगर ऐसा है कि आदमियत ही भूल जाए 
डर ना रहा तो क्या पता क्या बन जाएगा आदमी !! 
धरती को तो गटर बना डाला है इसने 
आसमान में क्या तलाश रहा है आदमी !
क्यूँ फ़िक्र करता है तू आदमी की 
अबे पहले खुद तो बन जा आदमी !!
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मुझ जैसे बहुत लोगों को यह चिंता है कि कहाँ जाएगा आदमी 
उन जैसे लोग यह कहते हैं कि मैं भी आखिरकार वहीँ जाउंगा...!!
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किसी सिम्त चैन नहीं आता गाफिल 
या तो यः फिक्र छीन ले या फिर हस्त !!
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खुद की असलियत  को पहचान  ले 
गाफिल खुद को आईना बना के देख ! 
मुझे सब्र है कि दुनिया बदल जायेगी 
मेरे बाद मुझे फिक्र ही कहाँ आ पाएगी !
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आदमी को आदमी बनाना चाहता है ?
अरे भई रहने दे जो जैसा है उसे जीने दे !!
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जिन्दादिली इसी को कहा करते हों शायद 
किसी के दिल को ज़िंदा ही हलाल कर देना !!
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मैं इसी वक्त अपने गम भूल जाऊं 
इक ज़रा हंस कर दिखा दे मेरे यार !!
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मैं तेरे नाम-का रसूख लेकर यां से जाऊं 
अ खुदा तू मुझे अपनी तरह का कर देना !! 
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एक-एक पल बेशकीमती है इस धरती पर 
आदमी किसी चीज़ की कीमत नहीं जानता !
क्या-क्या कीमत लगाए बैठा है किन-किन चीज़ों की 
यः आदमी खुद की तो कीमत तक नहीं पहचानता !! 
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अब चलता हूँ दोस्तों,सबको विदा 
मुझे तुम किसी दिन याद कर लेना !! 
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यूँ आंसू ना टपका,बहुत कीमती हैं 
इनके मुकाबिल मिरी जान सस्ती है !!
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एक आदमी पगलाया हुआ शहर में फिर रहा है 
आपको दिखाई दे तो उसे गाफिल समझ लेना !!
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आज के बाद नहीं लिखूंगा,ऐसा बहुत बार सोचा है 
मगर क्या करूँ,रात जाती है और दिन निकलता है !! 

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