दर्द बिखरा पड़ा है मेरे चारों ओर
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कहीं दर्द का सन्नाटा है
और कहीं दर्द का शोर
कहीं सन्नाटा भी आवाज़ कर रहा है
और कहीं शोर भी आवाज-हीन है
मगर दर्द पसरा है हर कहीं ऐसा
कि खुशियों के बीच भी दिखाई दे जाता है
पुकारता है हर कहीं से दर्द ही दर्द
दर्द से भरे लोग भी हँसते हैं,गाते हैं
और अपनी पूरी जिन्दगी जीते हैं
कहीं आधे-अधूरे मन से
तो कहीं पूरे मन या बेमन से
छूटता ही नहीं कहीं भी जिन्दगी से दर्द
खुशियों के सैलाब के बीच भी
कहीं से एकाएक प्रकट हो जाता है दर्द
और खुशियाँ यूँ गायब हो जाती हैं अचानक
कि जैसे थी ही नहीं कभी वो जिन्दगी में !!
सरप्राईज की तरह आता है जिन्दगी में दर्द
और इक फलसफा सिखा जाता है हमेशा
कि तुम्हें जीना है ओ आदम
हमेशा किसी ना किसी दर्द के साथ
दर्द हमारा हमसाया है
दर्द हमारा हमकदम !!
दर्द एक ऐसी जरुरत है इन्सान की
जिससे हंसी भी हो जाती है सम्पूर्ण
कि जैसे जिन्दगी पूरी हो जाया करती है
उम्र पूरी कर मौत के साथ.....!!
2 टिप्पणियां:
आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ७/८/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है |
सुंदर अभिव्यक्ति
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