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शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

जिन्दगी सिर्फ एक बार ही मिलती है हमें,

हर वक्त,वक्त हमसे आगे निकल जाता है
हर बार हम वक्त से पीछे छूट जाते हैं 
मगर हर वक्त हम हेंकड़ी जमाते रहते हैं 
इन सबके बावजूद भी ना किस बात की !
हम कभी भी,कुछ भी नहीं सीख पाते
किसी भी ठोकर 
या किसी की भी मृत्यु की बावजूद 
हमारी हेंकड़ी सदा कायम ही रहती है 
पता नहीं किस बात के कारण 
किन बातों के लिए ?
बेशक हर बार देखते हैं हम 
किसी भी देह का अंतिम परिणाम 
उसका अवसान,देहावसान !
यह बात कभी भी नहीं समझ आने को मेरे 
कि हर इक मौत को देख लेने के पश्चात भी 
हम उसी तरह कैसे जी सकते हैं 
जिस तरह रोज जिया करते हैं 
लड़ते-झगड़ते और बेवजह मरते-मारते हुए 
अपने खुद के हाथों से अपनी और दूसरों की 
जिन्दगी को नरक का एक पर्याय बनाते हुए!
जिन्दगी सिर्फ एक बार ही मिलती है हमें,
यह जानते हुए भी हम,
जिन्दगी को इतना फालतू कैसे बना सकते हैं 
यह शायद कोई भी नहीं बता सकता 
एक मरे हुए आदमी के सिवा.....!!