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शनिवार, 13 अगस्त 2011

चला दे जनरल अपनी टैंक हम पर....

अबे.... ज्यादा चीख पुकार मत कर
बुलडोजर है उनके पास..चढ़ा देंगे वे तुझपर 
इतनी चिल्लम पौं मत दिखा 
टैंक है उनके पास....उड़ा देंगे वे तुझे
भले ही भेजा है तुने ही वहां उन्हें 
मगर हो चुकी है अब गलती तुझसे 
वो बन चुके हैं सबके राजा 
अब अगर उनको हटाना ही है वहां से 
तो सिर्फ एक अनशन कारगर नहीं है....
अगर याद नहीं हो तुझे तो याद करा दूं 
गांधी के सत्याग्रह के साथ ही साथ कहीं 
सुभाष,भगत,चंद्रशेखर,राजगुरु,बिरसा का भी 
हिंसक आन्दोलन चला करता था 
और कोई नहीं था एक-दूसरे का विरोधी 
सब अपना-अपना कार्यक्रम रचते थे....
असल में ओ पगले...
राजा लोग राज करते-करते 
गैंडे या मगरमच्छ की तरह 
मोटी खाल के हो जाया करते हैं और 
होता नहीं है तब उनपर बातों का असर
इसलिए कह रहा हूँ तुझे 
कि उठा अपना डंडा 
और तब देख तू अपनी लातों का असर 
ये जालिम लोग तब तक नहीं मानेंगे 
जब तक कि तू दिखा ना दे अपनी ताकत 
और जता ना दे तू अपनी हिम्मत 
चल खडा हो जा और निकाल अपना तमंचा 
और कह दे अभी कि अभी 
चला दे जनरल अपनी टैंक हम पर 
कितने गोले होंगे साले तेरे पास 
चल बरसा दे अपने गोलों को हम पर 
हम चले आ रहे हैं करोडो.....
अरे नहीं-नहीं...अरबों-अरब तेरे पास !! 
http://baatpuraanihai.blogspot.com/

3 टिप्‍पणियां:

Suresh kumar ने कहा…

बहुत ही अच्छी कविता अब तो सभी भारतीयों को इकठा होना ही पड़ेगा ..........

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सटीक और समसामयिक प्रस्तुति..

केवल राम ने कहा…

ओजपूर्ण भावों से ओतप्रोत रचना ......अब भारतीयों को अपना दमखम दिखाना ही होगा ....!