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रविवार, 31 जुलाई 2011

अब इन लोगों को तौल दो.....!!

जिनको मिटाना चाहते हैं 
उन्हें तो मंच पर बिठाते हैं हम....
मंच भरभराकर गिर नहीं जाता, 
यह क्या कम बड़ी गनीमत है !!
जिन्हें मारने चाहिए जूते 
स्वागत होता है उनका फूलमालाओं से 
फूल कुम्भला नहीं जाते उनके गले में 
यह क्या कम बड़ी गनीमत है !!
जो बने हुए हैं सभी के तारणहार 
वो दरअसल गए-बीते हैं राक्षसों से भी 
कि राक्षस भी लजाकर मर-मुरा जाएँ,
इस धरती पर बस इसी एक डर से 
राक्षस लोग नहीं आया करते 
यह क्या कम बड़ी गनीमत है !!
जिनको होना चाहिए सलाखों के भीतर 
वो क़ानून बना रहे हैं हमलोगों का और 
चूस-चूस कर बिलकुल अधमरा कर दिया जिन्होंने देश 
उनके हाथों में हैं कल्याणकारी योजनायें हमारे लिए 
लेकिन दोस्तों एक बात मैं आप सबको बताता चलूँ 
कि कोई हाथ कितना भी मज़बूत क्यों ना हो,
तोड़ा जा सकता है,गर वो देश का दामन करे तार-तार !!
और लटकाया जा सकता उन्हें भी फांसी पर 
जो लेते रहें हैं लाखों बेकसूरों की जान !!
हमारे हाथ में हमारे "मत" का डंडा है दोस्तों 
और यह भी हमारे ही हाथ में ही है कि 
हम चरने ना दें इन पेटू भैसों और सांडों को 
अपने इस प्यारे से वतन का खेत......
और दोस्तों मैं आपको बताता हूँ कि इसके लिए 
हमें दरअसल कुछ नहीं करना है,बस हमें अपने इस डंडे को 
सचमुच में एक डंडे की तरह "यूज" कर लेना है 
आईये आज से अपनी इस लाठी को हम तेल पिलायें 
और विदेशी बैंकों में पैसे रखने वालों को 
मार-मार कर विदेश ही भगाएं.....!!
मार-मार कर हम इनके "चूतड" ऐसे कर दें लाल-लाल 
कि इनकी आने वाली नस्लें भी हो जाएँ बेहाल !!
अपनी लाठी खड़ी करो और हल्ला बोल दो 
सारे देश-द्रोहियों  की "औकात" को एकदम से तौल दो !!