ओ अल्ला ताला.....
तारीफ है तेरी....
तालियाँ....तालियाँ....
आह
कितना बड़ा उठाईगीर है तू...
कितना निराला साज है तेरा
मौत का तमाशगीर है तू...
आ ना तेरे हाथों का ले लूं मैं बोशा
कितनी सारी जानों का फ़कीर है तू
कित्ते सारे लोग है यहाँ बेबस-लाचार
क्या ऐसी ही धरती का आलमगीर है तू ?
धरती के लोगों को खेल खिलाता है ना !!
कित्ता शैतान है तू.....कित्ता सरीर है तू....
1 टिप्पणी:
आपकी अल्ला ताला को लगाई फटकार अच्छी लगी.
लेकिन,उस पर कुछ असर पड़ेगा ?
मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' पर आपके आने का बहुत बहुत शुक्रिया.
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