LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

रविवार, 3 अप्रैल 2011

ओ अल्ला ताला.....

ओ अल्ला ताला.....
तारीफ है तेरी....
तालियाँ....तालियाँ....
आह 
कितना बड़ा उठाईगीर है तू...
कितना निराला साज है तेरा 
मौत का  तमाशगीर है तू...
आ ना तेरे हाथों का ले लूं मैं बोशा 
कितनी सारी जानों का फ़कीर है तू 
कित्ते सारे लोग है यहाँ बेबस-लाचार 
क्या ऐसी ही धरती का आलमगीर है तू ?
धरती के लोगों को खेल खिलाता है ना !!
कित्ता शैतान है तू.....कित्ता सरीर है तू....
 

1 टिप्पणी:

Rakesh Kumar ने कहा…

आपकी अल्ला ताला को लगाई फटकार अच्छी लगी.
लेकिन,उस पर कुछ असर पड़ेगा ?

मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' पर आपके आने का बहुत बहुत शुक्रिया.