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शुक्रवार, 11 मार्च 2011

सपने में भी रोकती है बेटियाँ....!!

सपने में भी रोकती है बेटियाँ....!!
एक बिटिया दस वर्ष की हो गयी है मेरी 
और दूसरी भी पांच के करीब....
कभी-कभी तो सपने में ब्याह देता हूँ उन्हें 
और सपने में ही जब 
जाता हूँ अपनी किसी भी बेटी के घर....
तो मेरे सीने से कसकर लिपट कर 
खूब-खूब-खूब रोती हैं बेटियाँ....
मुझसे करती हैं वो 
खूब-खूब-खूब सारी बातें....
अपने घर के बारे में 
माँ के बारे में और 
मोहल्ले के बारे में...
और तो और कभी-कभी तो 
ऐसी-ऐसी बातें पूछ डालती हैं 
कि छलछला जाती हैं अनायास ही आँखे 
और जीभ चुप हो जाती है बेचारी...
पता नहीं कितने तो प्यार से 
और पता नहीं कितना तो..... 
खाना खिलाये जाती हैं वो मुझे....
और जब चलने लगता हूँ मैं 
वापस उनके यहाँ से....
तो एक बार फिर-फिर से...
खूब-खूब-खूब रोने लगती हैं बेटियाँ 
कहती हैं पापा रुक जाओ ना....
थोड़ी देर और रुक जाते ना पापा....
कुछ दिन रुक जाते ना पापा....
पापा रुक जाओ ना प्लीज़...
हालांकि जानती हैं हैं वो 
कि नहीं रुक सकते हैं पापा.....
मगर उनकी आँखे रोये चली जाती हैं....
और पापा की आँख सपने से खुल जाती है....
देखता हूँ....बगल में सोयी हुई बेटियों को....
छलछला जाता हूँ भीतर कहीं गहरे तक...
चूम लेता हूँ उनका मस्तक....
देखता हूँ....सोचता हूँ...बहता हूँ....
कि उफ़ कितनी गहरी जान हैं मेरी बेटियाँ....!!!

-- 
http://baatpuraanihai.blogspot.com/

8 टिप्‍पणियां:

SANSKRITJAGAT ने कहा…

ब्‍लागजगत पर आपका स्‍वागत है ।

नि:शुल्‍क संस्‍कृत सीखें । ब्‍लागजगत पर सरल संस्‍कृतप्रशिक्षण आयोजित किया गया है
संस्‍कृतजगत् पर आकर हमारा मार्गदर्शन करें व अपने
सुझाव दें, और अगर हमारा प्रयास पसंद आये तो संस्‍कृत के प्रसार में अपना योगदान दें ।

यदि आप संस्‍कृत में लिख सकते हैं तो आपको इस ब्‍लाग पर लेखन के लिये आमन्त्रित किया जा रहा है ।

हमें ईमेल से संपर्क करें pandey.aaanand@gmail.com पर अपना नाम व पूरा परिचय)

धन्‍यवाद

Sushil Bakliwal ने कहा…

शुभागमन...!
कामना है कि आप ब्लागलेखन के इस क्षेत्र में अधिकतम उंचाईयां हासिल कर सकें । अपने इस प्रयास में पर्याप्त सफलता तक पहुँचने के लिये आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढ सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको 'नजरिया' ब्लाग की लिंक नीचे दे रहा हूँ, किसी भी नये हिन्दीभाषी ब्लागर्स के लिये इस ब्लाग पर आपको जितनी अधिक व प्रमाणिक जानकारी इसके अब तक के लेखों में एक ही स्थान पर मिल सकती है उतनी अन्यत्र शायद कहीं नहीं । आप इस ब्लाग के दि. 18-2-2011 को प्रकाशित आलेख "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" का अवलोकन अवश्य करें, इसपर अपनी टिप्पणीरुपी राय भी दें और अगली विशिष्ट जानकारियों के लिये इसे फालो भी अवश्य करें । निश्चय ही आपको इससे अच्छे परिणाम मिलेंगे । पुनः शुभकामनाओं सहित...
http://najariya.blogspot.com/2011/02/blog-post_18.html

केवल राम ने कहा…

सच में यह बेटियां ......क्या हैं ना...आपकी कविता में उनकी भावनाओं को सशक्त अभिव्यक्ति मिली है ..आपका आभार ...आप यूँ ही नियमित लेखन से ब्लॉग जगतको समृद्ध करते रहें

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत सुंदर भाव हैं....
जब बेटियां विदा होती है तभी ये एहसास होता है कि वो क्यूं बेटियां हैं...उनकी विदाई का सोचकर ही आंखें भर आती हैं...
सुंदर रचना...भावपूर्ण

हरीश सिंह ने कहा…

ब्लॉग लेखन में आपका स्वागत है. आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए तथा प्रत्येक भारतीय लेखको को एक मंच पर लाने के लिए " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" का गठन किया गया है. आपसे अनुरोध है कि इस मंच का followers बन हमारा उत्साहवर्धन करें , हम आपका इंतजार करेंगे.
हरीश सिंह.... संस्थापक/संयोजक "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच"
हमारा लिंक----- www.upkhabar.in/

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है।
इसी तरह लिखते रहें और हिंदी ब्लॉगिंग को समृद्ध करते रहें।
आपकी प्रस्तुत कविता में मौलिकता है, पढ़कर अच्छा लगा।
शुभकामनाएं।

Dr Varsha Singh ने कहा…

आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा.....

अच्छे और गंभीर विषयों पर ध्यान आकर्षित करने और मनन करने का अवसर देने के लिए आपका आभार।

आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।

विशाल ने कहा…

मुझे मुआफ कीजिएगा ,
मैं आप की रचना से सहमत नहीं हूँ.
आप अभी तक बेटियों के बारे में
प्राचीन विचारों से प्रेरित हैं.
सलाम.