सपने में भी रोकती है बेटियाँ....!!
एक बिटिया दस वर्ष की हो गयी है मेरी
और दूसरी भी पांच के करीब....
कभी-कभी तो सपने में ब्याह देता हूँ उन्हें
और सपने में ही जब
जाता हूँ अपनी किसी भी बेटी के घर....
तो मेरे सीने से कसकर लिपट कर
खूब-खूब-खूब रोती हैं बेटियाँ....
मुझसे करती हैं वो
खूब-खूब-खूब सारी बातें....
अपने घर के बारे में
माँ के बारे में और
मोहल्ले के बारे में...
और तो और कभी-कभी तो
ऐसी-ऐसी बातें पूछ डालती हैं
कि छलछला जाती हैं अनायास ही आँखे
और जीभ चुप हो जाती है बेचारी...
पता नहीं कितने तो प्यार से
और पता नहीं कितना तो.....
खाना खिलाये जाती हैं वो मुझे....
और जब चलने लगता हूँ मैं
वापस उनके यहाँ से....
तो एक बार फिर-फिर से...
खूब-खूब-खूब रोने लगती हैं बेटियाँ
कहती हैं पापा रुक जाओ ना....
थोड़ी देर और रुक जाते ना पापा....
कुछ दिन रुक जाते ना पापा....
पापा रुक जाओ ना प्लीज़...
हालांकि जानती हैं हैं वो
कि नहीं रुक सकते हैं पापा.....
मगर उनकी आँखे रोये चली जाती हैं....
और पापा की आँख सपने से खुल जाती है....
देखता हूँ....बगल में सोयी हुई बेटियों को....
छलछला जाता हूँ भीतर कहीं गहरे तक...
चूम लेता हूँ उनका मस्तक....
देखता हूँ....सोचता हूँ...बहता हूँ....
8 टिप्पणियां:
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http://najariya.blogspot.com/2011/02/blog-post_18.html
सच में यह बेटियां ......क्या हैं ना...आपकी कविता में उनकी भावनाओं को सशक्त अभिव्यक्ति मिली है ..आपका आभार ...आप यूँ ही नियमित लेखन से ब्लॉग जगतको समृद्ध करते रहें
बहुत सुंदर भाव हैं....
जब बेटियां विदा होती है तभी ये एहसास होता है कि वो क्यूं बेटियां हैं...उनकी विदाई का सोचकर ही आंखें भर आती हैं...
सुंदर रचना...भावपूर्ण
ब्लॉग लेखन में आपका स्वागत है. आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए तथा प्रत्येक भारतीय लेखको को एक मंच पर लाने के लिए " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" का गठन किया गया है. आपसे अनुरोध है कि इस मंच का followers बन हमारा उत्साहवर्धन करें , हम आपका इंतजार करेंगे.
हरीश सिंह.... संस्थापक/संयोजक "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच"
हमारा लिंक----- www.upkhabar.in/
ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है।
इसी तरह लिखते रहें और हिंदी ब्लॉगिंग को समृद्ध करते रहें।
आपकी प्रस्तुत कविता में मौलिकता है, पढ़कर अच्छा लगा।
शुभकामनाएं।
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा.....
अच्छे और गंभीर विषयों पर ध्यान आकर्षित करने और मनन करने का अवसर देने के लिए आपका आभार।
आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।
मुझे मुआफ कीजिएगा ,
मैं आप की रचना से सहमत नहीं हूँ.
आप अभी तक बेटियों के बारे में
प्राचीन विचारों से प्रेरित हैं.
सलाम.
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