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रविवार, 19 दिसंबर 2010

एक साध्वी का एक वाक्य पढ़कर.......

एक साध्वी का एक वाक्य पढ़कर.......
 
साध्वी.....किसको कौन क्या सिखाये....!!
जब हर कोई करतब ही दिखलाए !!
यहाँ किसी ने अपना काम नहीं करना है...
और हर किसी को दूसरे का रोना रोना है...!!
हर कोई कानूनची है यहाँ ,
सुनता कौन है भला किसी की यहाँ !!
एक है पी. एम. हमारा....
देखो ना कितना धैर्य है उसमें...
सबकी बराबर सुनता है....
सबको बराबर देखता है....
मगर किसी को कुछ नहीं कहता है वो....
ऐसा लगता है कि किसी को देखता ही नहीं वो...  
ऐसा लगता है कि किसी को सुनता ही नहीं वो...
सबके सब अपने ही मन की किये जाते हैं
मगर उनका मुखिया होने के नाते भी
कभी किसी के कार्य की कोई जिम्मेवारी नहीं लेता वो कभी...
ऐसा लगता है जैसे बापू के तीनो बन्दर
इसी आदमी के घुस गए हैं अन्दर !!
बुरा मत सुनो,बुरा मत देखो,बुरा मत कहो....
सुनो साध्वी यह आदमी बड़ा ईमानदार है,
बेशक इसके परिवार के सारे सदस्य चोर हों,या डाकू...
कोई इसका संस्कार नहीं ले पाया तो इसकी क्या गलती...
कोई देश को सुरक्षा नहीं दे पाया तो इसकी क्या गलती 
कोई कुछ भी करे ना मेरे बाप....!!
तो इसमें किसी दूसरे की क्या गलती है....भला....?? 
इसलिए हे मेरे तमाम बापों....
तुम कुछ भी किये जाओ...
तुम्हारे बापों का बाप जब तक ईमानदार है....
तब तक जाओ,तुम्हारा भी कुछ नहीं बिगड़ने वाला....!!
सबको अपना काम है साध्वी....
किसको कौन क्या सिखाये...!!
सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा ही जब सबसे बड़ा चोर बन जाए
तो दूसरा कोई क्या उसके गले में घंटी बाँधने जाए !!
क़ानून बनाने वाले ही चोर रास्ता निकाल रहे हैं
इन रास्तों से हर देश-द्रोही बाहर निकाल जाए !!
हम सब नेट पर बैठकर कविता के सिवा कुछ नहीं कर सकते अगर
तो कौन इन कौरवों को मार भगाए....!!
सोचता हूँ कि मैं ही फिर अब इक कृष्ण बन जाऊं....
और फिर एक और महाभारत मच जाए !!
--
http://baatpuraanihai.blogspot.com/

1 टिप्पणी:

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

sachchai bayan karti kavita..
yahi to tadaf hai kalamkar ki.